एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं । एकांकीपन में अक्सर ही धड़कनें मेरा साथ देती हैं ।
समय के साथ साथ एकाकीपन का घाव नित गहरा हो रहा है. समय के साथ साथ एकाकीपन का घाव नित गहरा हो रहा है.
और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी। और में अचानक आ काश में उड़ ती, रसातल में पहुंच जाती हूं, कभी कभी, कभी कभी।
दुनियां से पर्दा किया तो ठीक अब खुद से क्या पर्दा पगले.....! दुनियां से पर्दा किया तो ठीक अब खुद से क्या पर्दा पगले.....!
अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की। अंतर्मन में जाने कितना शोर है। कितनी भीड़ है अपूर्ण इच्छाओं की।
नारी का बिन्दास पन किसी को अखरने लगती है। नारी का बिन्दास पन किसी को अखरने लगती है।